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Lok Sabha Election

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2024 Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव में अकलियतों के साथ ऐसा क्यों?

18 फीसदी आबादी होने के बावजूद किसी भी पार्टी ने अकलियतों को आबादी के अनुसार चुनाव में टिकट नहीं दिया है। उन पार्टियों ने भी मुसलमानों को भूला दिया है जो मुसलमानों के वोट से सत्ता की कुर्सी तक पहुंचती रही है। जब बगैर टिकट दिए ही वोट मिल जाता है तो टिकट और नुमाइंदगी देने की जरूरत क्या है।

लोकसभा चुनाव को लेकर सभी सियासी पार्टियों की गहमागहमी अपने शबाब पर है। हर पार्टी अपने वोट बैंक को साधने की जुगाड़ लगा रही है और उसी के मुताबिक जातियों को देखते हुए उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। बिहार में अकलियतों की आबादी करीब 18 फीसदी है लेकिन किसी भी सियासी पार्टी ने अकलियतों को उनकी आबादी के एतबार से Lok Sabha Election में टिकट देने की जहमत नहीं की है। खासबात ये है कि जिन पार्टियों की सियासत मुसलमानों के इर्दगिर्द घुमती रही है उन पार्टियों ने भी ये समझा है कि सेक्युलेरिजम के नाम पर मुसलमान जाएगा कहां वो बीजेपी के खिलाफ उनको ही वोट करेगा।

 

बिहार के 40 लोकसभा सीटों में मुस्लिम उम्मीदवार

 

2024 के Lok Sabha Election में बिहार के 40 लोकसभा की सीटों में एनडीए के सिर्फ एक प्रत्याशी चुनावी मैदान में है जो जेडीयू के टिकट पर किशनगंज लोकसभा से अपना किस्मत आजमा रहे है। किशनगंज मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और सभी पार्टियां Kishanganj से मुस्लिम प्रत्याशी को ही चुनावी मैदान में उतारती रही है। BJP ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। LJP जो कभी बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर सरकार बनने नहीं दिया था वो भी Lok Sabha Election में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।

इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A. Alliance) ने करीब 32 उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है जिसमें 4 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपना किस्मत आजमा रहे हैं।

 

इन क्षेत्रों से लड़ रहे हैं मुस्लिम उम्मीदवार

 

2024 के Lok Sabha Election में अररिया से आरजेडी के शहनवाज आलम और मधुबनी लोकसभा से मोहम्मद अली अशरफ फातमी चुनाव लड़ रहे हैं। उसी तरह कांग्रेस ने किशनगंज से मोहम्मद जावेद और कटिहार से तारीक अनवर को चुनावी मैदान में उतारा है। जेडीयू ने मास्टर मुजाहिद आलम को किशनगंज से टिकट दिया है। एआईएमआईएम ने किशनगंज लोकसभा से अपने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान को चुनावी मैदान में उतारा है उसके साथ ही दरभंगा से मोहम्मद कलाम चुनावी मैदान में है।

 

पहले मिलता था टिकट

 

जानकारों के मुताबिक पहले सियासी पार्टियों की तरफ से मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा जाता था, उस वक्त वो मुस्लिम वोटर्स का ख्याल रखते थे ताकि उन्हें अकलियतों का वोट मिल सके लेकिन अब ऐसा नहीं है। बीजेपी का खौफ दिखा कर ही उनका काम चल जाता है और मुस्लिम वोटर्स बगैर किसी मांग के सेक्युलेरिजम के नाम पर ही उन पार्टियों की झोली में अपना वोट डाल देते हैं।

गौरतलब है कि 2014 के Lok Sabha Election में बिहार के 15 मुस्लिम उम्मीदवारों ने अपना किस्मत आजमाया था। 2019 में महज 09 मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सके। 2024 में वो तादाद और भी कम हो गई है।

 

कम टिकट पर बवाल

 

मुसलमानों की कम नुमाइंदगी को लेकर अल्पसंख्यक संगठनों ने कई बार सवाल खड़ा किया है। इस बार भी ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल ने सभी पार्टियों से अपील किया था कि आबादी के एतबार से टिकट में हिस्सेदारी को सुनिश्चित किया जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दरअसल मुस्लिम संगठनों में भी इस मुद्दे पर कोई एक राय नहीं है और ना ही एक प्लेट फार्म से इस सिलसिले में कोई आवाज उठाई जाती है। नतीजे के तौर पर मुसलमानों के वोट से सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने वाली पार्टियों ने ये समझ लिया है कि बगैर नुमाइंदगी और टिकट दिए ही जब वोट मिल जाता है तो टिकट देने की जरूरत क्या है।

 

दलित मुसलमान NDA के साथ

उधर दलित मुसलमानों की रहनुमाई करने वाली संगठन ऑल इंडिया युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एजाज अली का कहना है कि उनके लिए टिकट में भागीदारी कभी भी कोई एजेंडा नहीं रहा है। उन्होंने ने कहा कि आबादी के एतबार से टिकट मिले या नहीं उससे ज्यादा जरूरी है कि जो सरकार बने वो अकलियतों के लिए काम करें। गौरतलब है कि लीक से अलग हट कर ऑल इंडिया युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा ने 2024 के Lok Sabha Election में एनडीए की हिमायत करने का ना सिर्फ एलान किया है बल्कि अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में जा कर NDA के हक में रास्ता बनाने की कोशिश भी कर रहा है। Dr Ejaz Ali का कहना है कि Prime Minister Narendra Modi एक मजबूत लीडर है और वो सत्ता में फिर से आते है तो उम्मीद है कि दलित मुसलमानों का मसला हल होगा। डॉ एजाज अली और उनका संगठन दलित मुसलमानों को शिड्यूल कास्ट में शामिल कराने की मांग पिछले तीन दशक से करते रहे है।

 

बड़े मुस्लिम संगठनों की अलग राह

हालांकि दूसरे मुस्लिम संगठन ऐसा नहीं सोचते हैं। वो Lok Sabha Election को लेकर मुसलमानों से हर कीमत पर अपना वोट डालने की अपील तो किया है लेकिन किसी एक पार्टी या संगठन की हिमायत करने का खुल कर एलान नहीं किया है। हालांकि उन्हें भी इस बात पर अफसोस है कि सियासी पार्टियों ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक समझा है लेकिन नुमाइंदगी देने के सवाल पर वो हमेशा डंडी मारी करते रहे हैं। फिर भी वो कहते हैं कि देश हित में और समाज के विकास के सिलसिले में जो भी पार्टी या जो उम्मीदवार लोगों को बेहतर लगता है उन्हें वो जरूर वोट करें।

 

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Asaduddin Owaisi

 

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