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Social Media: सोशल मीडिया के जाल में गिरफ्तार हैं आप

एक रिपोर्ट के मुताबिक रोजाना लोग 6 से 7 घंटा मोबाइल स्क्रीन पर गुजारते हैं। अगर 6 घंटा ही मान लिया जाए तो हम एक महीने में 180 घंटा स्क्रीन पर होते हैं और साल भर में करीब 72 दिन। यानी साल में हम दो महीना से ज्यादा का समय सिर्फ मोबाइल स्क्रीन पर गुजार देते हैं। अब अगर आप एक साल की अपनी कोई योजना बना रहे हैं तो वो एक साल रहा कहां, पहले ही आप ने दो महीने से ज्यादा का वक्त मोबाइल स्क्रीन पर दे दिया, अब आप का साल तो बस दस महीना का ही रह गया है।

आज सोशल मीडिया हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। सुबह उठने से लेकर सोने तक हजारों बार हमारी नजर मोबाइल स्क्रीन पर जाती है। बगैर कुछ सोचे हम बार-बार मोबाइल देखते हैं और जब भी मोबाइल पर नजर पड़ती है, हमारा बहुत सारा समय ऐसे ही बर्बाद हो जाता है। ये सही है कि आज Social Media और मोबाइल के बीना जिने की कल्पना करना मुश्किल है। काम भी ऐसा है कि हर किसी को मोबाइल और सोशल मीडिया की जरूरत पड़ती है। उसके बिना आप का काम भी नहीं हो सकता है। WhatsApp से लेकर Facebook, Instagram, Twitter इत्यादि पर हम लगातार लगे रहते हैं। कभी काम से तो कभी बिना काम से। काम से अगर उसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो ये एक अद्भुत चिज है अगर बिना काम के इस्तेमाल कर रहे हैं तो ये हमारी जिंदगी को बर्बाद कर रहा है बल्कि ज्यादा इस्तेमाल को अब एक बीमारी कहा जाता है।

 

सोशल मीडिया के कारण 10 महीने का हो गया साल

 

सोशल मीडिया से हम समाज को एक नई दिशा दे सकते हैं, अपने दोस्तों से जुड़े रह सकते हैं यहां तक की हम अपना महत्वपूर्ण काम भी कर सकते है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें उसका फायदा मिल रहा है लेकिन अधिकतर लोग और खासकर बच्चे और नौजवान सिर्फ एंटरटेनमेंट के गर्ज से सोशल मीडिया पर आते हैं। लायक और कमेंट में उनकी लाइफ का कीमती वक्त बर्बाद होता रहता है लेकिन उन्हें उसकी खबर तक नहीं होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक रोजाना लोग 6 से 7 घंटा मोबाइल स्क्रीन पर गुजारते हैं। अगर 6 घंटा ही मान लिया जाए तो हम एक महीने में 180 घंटा स्क्रीन पर होते हैं और साल भर में करीब 72 दिन मोबाइल स्क्रीन ले लेता है। यानी साल में हम दो महीना से ज्यादा का समय सिर्फ मोबाइल स्क्रीन पर गुजार देते हैं। अब अगर आप एक साल की अपनी कोई योजना बना रहे हैं तो वो एक साल रहा कहां, पहले ही आप ने दो महीने से ज्यादा का वक्त मोबाइल स्क्रीन पर गुजार देते हैं। अब आप का साल तो बस दस महीना का ही रह गया है। जानकारों के मुताबिक ये काफी अहम हो गया है कि हम समझें की हमें कब और कितना Social Media या मोबाइल स्क्रीन पर अपना वक्त देना है। ये भी सोचे की क्या वाकई में हमें उसकी जरूरत है। अगर है तो जरूर उसका इस्तेमाल कीजिए अगर नहीं है तो अपनी जिंदगी को बर्बाद होने से बचाएं।

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अल्पसंख्यकों का स्क्रीन टाइम अद्भुत

 

लगभग सभी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हो चूका है कि देश का अल्पसंख्य समाज शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक एतबार से हाशिए पर है। शिक्षा की कमी के कारण अल्पसंख्यकों का बड़ा हिस्सा बेरोजगार है या खेती मजदूरी कर किसी तरह अपनी दाल रोटी का इंतजाम करता है लेकिन हैरानी की बात ये है कि उस खराब स्थिति में भी सब के पास मोबाइल है और उनका स्क्रीन टाइम दूसरे लोगों से भी ज्यादा है। ऐसे में ये गौर करना जरूरी है कि Social Media का इस्तेमाल अगर अपने आप को अच्छा बनाने के लिए आप कर रहे है तो ठीक है नहीं तो आप की स्थिति और भी खराब होने वाली है। अल्पसंख्यक समाज के जानकारों का कहना है कि अल्पसंख्यक नौजवानों का जितना स्क्रीन टाइम है, अगर उतना समय वो अपने आप को बनाने में लगाएं तो उनकी स्थिति में काफी सुधार हो सकता है। उनका कहना है कि इस सिलसिले में कोई जागरूकता अभियान भी नहीं चलाया जा रहा है। हालत ये है कि Instagram पर समाज नंगा हो रहा है और लोग मजे से उसे देख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि चाहे वो Instagram हो, Facebook हो या फिर कोई दूसरा सोशल मीडिया का प्लेट फार्म सब जगहों पर व्यवसाय करने वाले लोग अपना बिजनस कर रहे हैं और देखने वाला एक कंजूमर की तरह है जो उनके बिजनस को बढ़ाने में उनकी मदद कर रहा है। जानकारों के मुताबिक ये जरूरी है कि आप सोशल मीडिया की मदद करने के बजाए खुद की मदद करें ताकि आप की जिंदगी सफल हो साथ-साथ समाज और देश का विकास हो।

 

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