Minority Voters

Minority Voters

Minority Voters: बिहार के अल्पसंख्यक वोटरों के बीच जेडीयू की मुहिम

Minority Voters
मेजर इकबाल हैदर खान, महासचिव, जेडीयू।
जेडीयू अल्पसंख्यक जिलों में अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में जुटी है। 243 विधानसभा की सीटों में करीब 60 सीट पर मुस्लिम समाज निर्णायक भूमिका में है। और 100 सीटों पर अल्पसंख्यक समाज का असर रहता है। जेडीयू के महासचिव मेजर इकबाल हैदर खान का कहना है कि पहले की तुलना में मुस्लिम समाज अपनी बुनियादी सवालों को लेकर आगे बढ़ रहा है।

बिहार में अकलियतों की करीब 17 फीसदी आबादी है। राज्य में होने वाले सभी चुनावों में सियासी पार्टियों की सियासत अल्पसंख्यकों के इर्द-गिर्द घुमती रही है। कभी राज्य का मुसलमान कांग्रेस का वोटर हुआ करता था। लेकिन बाद में लालू प्रसाद की ‘एम वाई’ समीकरण का हिस्सा बना और आरजेडी को सत्ता तक पहुंचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकता रहा। बदले में अल्पसंख्यकों को क्या मिला ये एक अलग सवाल है लेकिन लालू प्रसाद यादव मुसलमानों का वोट हासिल करने में पूरी तरह से कामयाब रहे। यहां तक कि आज भी अकलियतों का अधिकतर वोट आरजेडी के ही खाते में जाता है। आरजेडी एम वाई यानी मुसलमान और यादव के समीकरण के सहारे सत्ता में बनी रही। अब आरजेडी नए स्वरूप में है और विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव एम-वाई की जगह आरजेडी को ए टू जेड की पार्टी बताते हैं। कहा जा सकता है मुसलमानों के वोट की कीमत जो पहले आरजेडी में थी शायद वो अब नहीं रही है। यही कारण है की जेडीयू के मुस्लिम लीडर Minority Voters को एक मौका के तौर पर देख रहे हैं। जेडीयू का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बगैर किसी भेदभाव के सभी समाज के लिए काम किया है उसमें मुसलमान भी शामिल है। अल्पसंख्यकों की शैक्षणिक विकास के साथ-साथ उनकी बुनियादी सुविधाओं को हल करने की नीतीश कुमार ने कामयाब कोशिश की है। जेडीयू के महासचिव मेजर इकबाल हैदर खान का कहना है कि दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार का मुसलमान ज्यादा बेहतर हालत में है।

ये भी पढ़ें- Aslam Azad

इंसाफ के साथ हुआ काम

जेडीयू के महासचिव मेजर इकबाल हैदर के मुताबिक बिहारी मुसलमान होने पर यहां के लोग फख्र महसूस करते हैं। उनका कहना है कि ये तब हुआ है जब इंसाफ के साथ नीतीश कुमार ने काम किया है। मेजर इकबाल हैदर ने मुसलमानों से अपील किया है कि जज्बाती नारों से अलग मुस्लिम समाज को अपनी रोजी रोटी की फिक्र करनी चाहिए। Minority Voters को उन राजनीतिक दलों की हिमायत के बारे में गौर करना चाहिए जो मुस्लिम समाज की भलाई और उनके विकास के सिलसिले में खामोशी के साथ काम कर रही है। जेडीयू नेता का कहना है कि मुसलमानों को अपनी राजनीतिक चेतना को जगाना चाहिए। सियासी हिस्सेदारी का सवाल हमेशा उठता रहा है और मौजूदा सरकार अकलियतों को सियासत के साथ-साथ विकास में भी मुनासिब भागीदारी दे रही है। ऐसे में हमें भी नीतीश कुमार को मजबूत करने की दिशा में काम करने की जरूरत है।

ये भी पढ़ें- Minority Hostel Bihar

नए सियासी ताने-बाने को समझने की जरूरत

जेडीयू के मुस्लिम लीडर इन दिनों बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं। मेजर इकबाल हैदर सीतामढ़ी के संगठन प्रभारी हैं। सीतामढ़ी एक अल्पसंख्यक जिला है। उनका कहना है कि हम लोग गांव-गांव जा कर मुस्लिम समाज के बीच जागरूकता अभियान चला रहे है। उनका कहना है कि अब Minority Voters को राज्य की सियासत और उसके नए ताने-बाने को गंभीरता से समझना चाहिए। मेजर इकबाल का कहना है कि मुस्लिम समाज सियासी तौर पर बेदार तो है लेकिन बगैर किसी फायदे के एक खास पार्टी की हिमायत करता रहा है। जदयू के वरिष्ठ नेता मेजर इकबाल के मुताबिक उनकी टीम मुस्लिम इलाकों में काम कर रही है। अकलियतों को ये बताने का प्रयास किया जा रहा है कि विकास के मुद्दे पर समझौता नहीं किया जाए बल्कि जिस पार्टी ने अल्पसंख्यकों के विकास के लिए काम किया है समाज भी उस पार्टी को पूरी तरह से हिमायत करने पर गौर करें। उनका कहना है कि काम के सवाल पर नीतीश कुमार पहले नंबर पर आते हैं। नीतीश कुमार ने बगैर किसी फर्क के समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया है। अकलियतों के विकास के लिए सोचा है। उनकी योजनाओं को जमीन पर उतारने की कोशिश की है। खास बात ये है कि सरकार के कामकाज की तस्वीर बिहार के हर इलाके में साफ तौर से देखी जा रही है।

सीमांचल में एमआईएम ने पांच सीटों को जीत कर सीमांचल के करीब 24 विधानसभा की सीटों पर अपना असर छोड़ दिया है। आने वाले दिनों में उन क्षेत्रों पर पार्टी अपनी दावेदारी पेश करेगी।

ये भी पढ़ें- 15 Point Programme Committee

60 विधानसभा की सीटों पर अकलियतों की निर्णायक भूमिका

दरअसल जेडीयू के मुस्लिम लीडरों को लगता है कि राज्य का मुसलमान जदयू से पूरी तरह जुड़ गया तो नीतीश कुमार की ताकत पहले की तुलना में काफी मजबूत हो जाएगी। कहा जाता है कि Minority Voters एक मुश्त किसी भी पार्टी को वोट करता है। आरजेडी का वोटर समझा जाने वाला ये वर्ग सियासी तौर पर अभी बिखरा हुआ है। एक धड़ा अब भी आरजेडी की हिमायत करता है तो एक तबका जेडीयू की। सीमांचल में एमआईएम ने पांच सीटों को जीत कर सीमांचल के करीब 24 विधानसभा की सीटों पर अपना असर छोड़ दिया है। आने वाले दिनों में उन क्षेत्रों पर पार्टी अपनी दावेदारी पेश करेगी। जेडीयू अल्पसंख्यक जिलों में अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है। 243 विधानसभा की सीटों में करीब 60 सीट पर मुस्लिम समाज निर्णायक भूमिका में है। और 100 सीटों पर अल्पसंख्यक समाज का असर रहता है। मेजर इकबाल हैदर का कहना है कि पहले की तुलना में मुस्लिम समाज अपनी बुनियादी सवालों को लेकर आगे बढ़ रहा है। बिहार के लिए नीतीश कुमार अपने काम के बुनियाद पर लोगों के दिलों में एक विकास पुरुष की हैसियत से अपना घर बना चुके हैं। उनका कहना है कि अल्पसंख्यक समाज को ये देखना चाहिए की अकलियतों के हितों के लिए नीतीश कुमार ने कभी कोई समझौता नहीं किया है। वो एक उसूलों वाले राज नेता है। उन्होंने सूबे के दलित, पिछड़े, अति पिछड़े और मुसलमानों के विकास के लिए खास तरह से काम करने की कोशिश की है। जिसका नतीजा जमीन पर देखने को मिल रहा है। ऐसे में अगर मुस्लिम समाज पूरी तरह पार्टी से करीब होता है तो भविष्य की सियासत के लिए उनका योगदान मिल का पत्थर साबित होगा।

Previous article
Next article

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

You cannot copy content of this page