AIMIM Akhtarul Iman
AIMIM Akhtarul Iman: बिहार सरकार उर्दू के साथ कर रही है मजाक। सड़क से लेकर सदन तक होगी लड़ाई।
बिहार के दो करोड़ लोगों की भाषा को ठंडे बस्ते में डालने की सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। एम आई एम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने एलान किया है की अगर समय रहते सरकार ने उर्दू का मसला हल नहीं किया तो उनकी पार्टी राज्य स्तरीय आंदोलन शुरु करेगी। |
बिहार में उर्दू को दूसरी सरकारी जबान का दर्जा हासिल है लेकिन बिहार में उर्दू भाषा और उर्दू की संस्थाओं की स्थिति अफसोसनाक है। उर्दू की सभी संस्थाओं को ठप कर दिया गया है। स्कूलों में उर्दू की पढ़ाई नहीं हो रही है। खास बात ये है की उर्दू शिक्षकों की बहाली का रास्ता भी सरकार ने बंद कर दिया है। ये कहना है एम आई एम का। पटना में एक प्रेस कॉनफ्रेंस का आयोजन कर एम आई एम ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। एम आई एम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान AIMIM Akhtarul Iman का कहना है कि राज्य की दूसरी सरकारी भाषा को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। अख्तरुल ईमान के मुताबिक एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों के हितैषी होने का दावा करते है वहीं दूसरी तरफ राज्य के दो करोड़ लोगों की भाषा को ठंडे बस्ते में डालने की पूरी तैयारी हो रही है। अख्तरुल ईमान ने एलान किया की अगर समय रहते उर्दू का मसला हल नहीं हुआ तो उनकी पार्टी एम आई एम राज्य स्तरीय आंदोलन शुरु करेगी।
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उर्दू टीईटी के उम्मीदवारों के साथ सरकार ने किया मजाक
एम आई एम का कहना है की 2013 में स्पेशल टीईटी उर्दू में 12000 उम्मीदवार कामयाब हुए थे। 2014 में कामयाब उम्मीदवारों को फेल कर दिया गया। पास करने के बाद भी 12 हजार उर्दू उम्मीदवारों को फेल किया जाना उर्दू के साथ एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक नाइंसाफी हुआ है। इससे उर्दू उम्मीदवारों के साथ-साथ राज्य की उर्दू आबादी सरकार से सख्त नाराज है। अख्तरुल ईमान AIMIM Akhtarul Iman ने कहा की हमारी पार्टी ने सरकार से मांग किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले में खुद हस्तक्षेप करें और पिछले सात वर्षों से दर-दर की ठोकर खाने वाले 12 हजार उर्दू उम्मीदवारों के साथ इंसाफ किया जाए।
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उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता बंद
एम आई एम AIMIM Akhtarul Iman के मुताबिक 15 मई 2020 से पहले राज्य के सभी स्कूलों में मैट्रीक तक उर्दू पढ़ने का इंतजाम था लेकिन शिक्षा विभाग ने 15 मई 2020 को अपने मानक मंडल में बदलाव किया। अब हर स्कूल में 9 टीचर के बजाए सिर्फ 6 टिचरों को नियुक्त किया जाना है। पहले की तरह अब हर स्कूल में उर्दू के शिक्षक नियुक्त नहीं होंगे। इस तरह से बिहार सरकार ने उर्दू शिक्षकों की बहाली का रास्ता बंद कर दिया है। ऐसा कर के सरकार ने स्कूलों में उर्दू की पढ़ाई का रास्ता भी बंद कर दिया है। सरकार कहती है कि वो अल्पसंख्यकों को लेकर गंभीर है। जेडीयू के नेता नीतीश कुमार को विकास पूरुष बताते हैं जबकि राज्य की उर्दू आबादी के लाखों बच्चों को उनकी मातृभाषा उर्दू पढ़ने से वंचित किया जा रहा है।
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सभी उर्दू संस्थाएं बदहाल
एम आई एम ने कहा की राज्य की सभी उर्दू की संस्थाएँ बदहाली का दिन काटने पर मजबूर है। बिहार उर्दू अकादमी और उर्दू परामर्शदाता समिति का गठन नहीं किया जा रहा है। 2018 से उर्दू की ये संस्थाएं भंग है। किसी भी तरह का उर्दू का कोई काम नहीं हो रहा है। उधर उर्दू निदेशालय के निदेशक को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है जिनकी कोई दिलचस्पी उर्दू भाषा के विकास में नहीं है। AIMIM Akhtarul Iman ने सरकार को खबरदार किया है कि उर्दू की समस्याएं हल नहीं हुई तो सड़क से लेकर सदन तक उनकी पार्टी लड़ाई लड़ेगी। एम आई एम ने सरकार से मांग किया है कि बिहार में 80 हजार उर्दू शिक्षकों की बहाली अविलंब किया जाए। उर्दू अनुवादकों की बहाली अविलंब हो। बिहार उर्दू अकादमी और उर्दू परामर्शदाता समिति का गठन किया जाए। 2013 के बंगला उर्दू TET पास अभ्यर्थी जिनके साथ लगातार नाइंसाफी हो रही है सरकार उनके साथ इंसाफ करें।